Modem Kya Hai | Modem Meaning In Hindi

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डेटा संचार का काम इन्कोडिंग/डिकोडिंग उपकरणों के विकास के कारण ही संभव हो पाया है। ये उपकरण कम्प्यूटर के कोड फॉर्मेट को सम्प्रेषण के लिए कम्यूनिकेशन चैनल्स के कोड में बदल देते हैं। इसके बाद इस प्रक्रिया के विपरित काम तब करते हैं जब डेटा प्राप्त किया जाता है। इन कम्यूनिकेशन चैनलों में टेलीफोन लाइनें, माइक्रोवेव लिंक्स या सैटेलाइट ट्रांसमिशन शामिल हैं। इन्कोडिंग/डिकोडिंग का काम करने वाला उपकरण मॉडेम कहलाता है।

 

मॉडेम अर्थात मोड्यूलेटर/डिमोड्यूलेटर सरल शब्दों में कहें तो यह डेटा संप्रेषण कार्य में प्रयोग होने वाला इन्कोडिंग/डिकोडिंग उपकरण है। डाटा कम्युनिकेशन सिस्टम में यह कंप्यूटर के डिजिटल सिगनलों को एनालॉग टेलीफोन सिग्नलों में बदलता है अर्थात यह सिग्नलों को मोड्यूलेट करता है और एनालॉग टेलीफोन सिग्नलों को डिजिटल कंप्यूटर सिग्नलों में बदलता है। अर्थात सिग्नलों डिमोड्यूलेट करता है। जुड़े हुए उपकरण से डेटा के प्रवाह को सीपीयू तक ले जाने और वापस लाने का काम मॉडेम कॉमन कैरिअर नेटवर्क के माध्यम से करता है। कंप्यूटर डेटा को साधारण टेलीफोन लाइनों से भेजने के लिए मॉडेम का होना इसलिए जरूरी है, क्योंकि कंप्यूटर का डेटा डिजिटल होता है और टेलीफोन लाइनें एनालॉग मॉडेम की डेटा संप्रेषण की गति अलग-अलग होती है।

 

मॉडेम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे दूर स्थित कंप्यूटरों को भी एक्सेस किया जा सकता है। इसका उदाहरण यह है कि बहुत से कर्मचारी घर बैठकर काम करते समय अपने कार्यालय के कंप्यूटर को एक्सेस कर सकते हैं। मॉडेम से कंपनी के नेटवर्क का नंबर डायल कर कोई कर्मचारी डेटा को एक्सेप्ट कर सकता है और अन्य कर्मचारी के साथ फाइलें तथा ई-मेल शेयर कर सकता है। फील्ड में रहने वाले विक्रय प्रतिनिधि मॉडेम के माध्यम से अपने कार्यालय से संपर्क बनाए रखते हैं। किसी कम्युनिकेशन सॉफ्टवेयर पैकेज की सहायता से पोर्टेबल कंप्यूटर और कार्यालय के कंप्यूटर के बीच संपर्क स्थापित किया जाता है। इसके बाद डेटा संचार लाइनों के माध्यम से भेजा जाता है। गति, मूल्य और अन्य विशेषताओं के आधार पर मॉडेम का वर्गीकरण किया जाता है, लेकिन अधिकांश लोग इसे आंतरिक या बाहरी मॉडेम के रूप में देखते हैं। आंतरिक मॉडेम दिखने में साउंड कार्ड की तरह होता है या जो कंप्यूटर के अंदर लगाया जाता है, इसे तब तक एक्सेस नहीं किया जा सकता जब तक कंप्यूटर को चलाया ना जाए, दूसरी ओर बाहरी मॉडेम कंप्यूटर के सीरियल पोर्ट में जोड़ा जाता है, इसे कंप्यूटर के आस-पास ही रखा जाता है, एक अन्य प्रकार का मॉडेम है PCMCIA । यह केवल लैपटॉप के साथ प्रयोग होता है। आकार में छोटा, विजिटिंग कार्ड के बराबर यह मॉडेम कीमती होता है।

 

ऐसे मॉडेम भी हैं जो कंप्यूटर के पैरलल पोर्ट से जोड़े जाते हैं, इससे सीरियल पोर्ट कार्यों के लिए उपलब्ध रहता है, लेकिन ऐसे मॉडेम बहुत कम है। आंतरिक और बाहरी, दोनों ही प्रकार के मॉडेम अच्छी तरह काम करते हैं, लेकिन लोग बाहरी मॉडेम को बेहतर मानते हैं, क्योंकि वे उसे देख सकते हैं और नियंत्रण में भी रख सकते हैं। इन्हें ऑन- ऑफ करना भी बहुत आसान होता है। बाहरी मॉडेम में जलने-बुझने वाली लाइटें डेटा संप्रेषण की स्थिति को दर्शाती रहती हैं। कीमत में भी कम आंतरिक मॉडेम को सेट करना नए व्यक्ति के लिए काफी कठिन है। यदि काम के दौरान यह मॉडेम अटक गया या इसका कनेक्शन टूट गया तो इसे आसानी से रीसेट नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह कंप्यूटर के अंदर को होता है। कंप्यूटर को ही रीस्टार्ट करना इसका एकमात्र उपाय है। मॉडेम की गति किलोबाइट/सेकंड में आंकी जाती है। बाजार में अपनी विशेषताओं के आधार पर 1500 और अधिक मूल्य के मॉडेम उपलब्ध हैं।

 

मॉडेम के प्रकार – डेटा ट्रांशमिशन की दिशा के आधार पर मॉडेम के प्रकार-

 

(1) Simplex – सिम्प्लेक्स मॉडेम केवल एक दिशा में डेटा स्थानांतरित कर सकता है। डिजिटल डिवाइस से नेटवर्क में यानी मॉड्यूलेटर या नेटवर्क से डिजिटल डिवाइस में यानी डिमोड्यूलेटर। दोनों में से कोई एक तरफ डेटा स्थानांतरित हो सकता है, उदाहरण – रेडियो तथा टेलिविजन ट्रांसमिशन।

 

(2) Half Duplex – अर्ध डुप्लेक्स में डेटा दोनों दिशा में स्थानांतरित कर सकते हैं लेकिन एक समय में एक ही दिशा में ट्रांसफर हो सकता है। अर्थात् या तो डेटा भेज सकते हैं या प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण – वॉकी-टॉकी

 

(3) Full Duplex – पूर्ण डुप्लेक्स मॉडेम में डेटा एक साथ दोनों दिशा में स्थानांतरित हो सकता है। मतलब मॉड्यूलेटर और डिमॉड्यूलेटर एक साथ।

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