UPSSSC Lekhpal Free Mock Test - 07
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Information
Exam Name : UPSSSC Lekhpal Free Mock Test – 07
Exam Duration : 2 Hours
Total Questions : 100
विषय
प्रश्न संख्या
अंक
सामान्य हिन्दी
25
25
गणित
25
25
सामान्य ज्ञान
25
25
ग्राम्य समाज एवं विकास
25
25
Total Marks : 100 (Negative 1/4)
Best of Luck …….
नोट:- इस टेस्ट को बनाने में पूरी सावधानी बरती गयी है। फिर भी यदि किसी प्रश्न में त्रुटि रह गई हो, तो कृपया कमेंट के माध्यम से बताएं ताकि उचित संशोधन किया जा सके।
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Question 1 of 25
1. Question
Category: General Hindi
प्रश्न (1 से 5) तक के लिए निर्देश : अनुच्छेद पर आधारित प्रश्न दिए गए हैं, प्रश्न अनुसार विकल्पों का चयन करें।
मापना सभ्य इंसान की पुरानी फितरत का हिस्सा रहा है। दुनिया भर के सभ्य समाजों ने अपने-अपने ढंग से समय को, दूरी को, गति को, आकार को, क्षेत्रफल को नापने के पैमाने विकसित किए हैं। फिर एक ऐसा दौर दौर आया, जब हर चीज को ही नापा जाने लगा – सर्दी को, गर्मी को, सुख को, दुख को, अर्थव्यवस्था को, महंगाई को और यहां तक कि अक्ल को भी। इसी के साथ डेढ़ सौ साल पहले एक और पैमाना विकसित हुआ, इंसान के बुखार को मापने का। कार्ल वंडरलिच ने शरीर के तापमान को समझने के लिए एक लंबा शोध किया और वह इस नतीजे पर पहुंचे कि 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट शरीर का सामान्य तापमान है, शरीर का तापमान अगर इससे ज्यादा हो, तो इसका अर्थ है बुखार। यही तापमान चिकित्सा व्यवसाय का मानक बन गया। 98.6 का आंकड़ा जल्द ही एक मुहावरा बनकर समाज और संस्कृति के कई क्षेत्रों में इस्तेमाल होने लगा। इसी नाम से एक गीत बना, एक उपन्यास लिखा गया, सर्वाइकल गाइड आई और दुनिया के कई देशों में एफएम चैनल खुले। पर अब 98.6 के इस आंकड़े पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के जोनातन हुसैन ने पिछले दिनों इस पर लंबा शोध किया, तो वह इस नतीजे पर पहुंचे कि मानव शरीर का सामान्य तापमान के लिए 98.6 का आंकड़ा मूल रूप से गलत है। उन्होंने पाया कि हमारे शरीर का तापमान सुबह के वक्त थोड़ा कम होता है और शाम तक थोड़ा सा बढ़ जाता है। इसके अलावा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के शरीर का तापमान मामूली सा ज्यादा होता है। बड़ों के मुकाबले बच्चों का थोड़ा सा ज्यादा होता है। फिर अलग-अलग तरह के लोगों के शरीर का सामान्य तापमान अलग-अलग होता है, यानी पूरे मानव समुदाय के लिए 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट का मानक सही नहीं है। वह इस नतीजे पर पहुंचे कि शरीर का सामान्य तापमान और बुखार, दोनों ही जटिल चीजें हैं, एक आंकड़े के सरल से इसे नहीं समझा जा सकता। सच तो यह है कि सटीक पैमाने सिर्फ भौतिक चीजों और प्रक्रियाओं के ही बनते हैं। सामाजिक और शारीरिक प्रक्रियाओं के पैमाने सिर्फ संकेतिक होते हैं, इनमें उनके उतार-चढ़ाव की थाह भर पाई जा सकती है। दिक्कत तब आती है, जब हम इसे जड़ मानक मान लेते है।
Q.1 सभ्य इंसान की पुरानी फितरत का हिस्सा रहा है?
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Correct
Incorrect
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Question 2 of 25
2. Question
Category: General Hindi
प्रश्न (1 से 5) तक के लिए निर्देश : अनुच्छेद पर आधारित प्रश्न दिए गए हैं, प्रश्न अनुसार विकल्पों का चयन करें।
मापना सभ्य इंसान की पुरानी फितरत का हिस्सा रहा है। दुनिया भर के सभ्य समाजों ने अपने-अपने ढंग से समय को, दूरी को, गति को, आकार को, क्षेत्रफल को नापने के पैमाने विकसित किए हैं। फिर एक ऐसा दौर दौर आया, जब हर चीज को ही नापा जाने लगा – सर्दी को, गर्मी को, सुख को, दुख को, अर्थव्यवस्था को, महंगाई को और यहां तक कि अक्ल को भी। इसी के साथ डेढ़ सौ साल पहले एक और पैमाना विकसित हुआ, इंसान के बुखार को मापने का। कार्ल वंडरलिच ने शरीर के तापमान को समझने के लिए एक लंबा शोध किया और वह इस नतीजे पर पहुंचे कि 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट शरीर का सामान्य तापमान है, शरीर का तापमान अगर इससे ज्यादा हो, तो इसका अर्थ है बुखार। यही तापमान चिकित्सा व्यवसाय का मानक बन गया। 98.6 का आंकड़ा जल्द ही एक मुहावरा बनकर समाज और संस्कृति के कई क्षेत्रों में इस्तेमाल होने लगा। इसी नाम से एक गीत बना, एक उपन्यास लिखा गया, सर्वाइकल गाइड आई और दुनिया के कई देशों में एफएम चैनल खुले। पर अब 98.6 के इस आंकड़े पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के जोनातन हुसैन ने पिछले दिनों इस पर लंबा शोध किया, तो वह इस नतीजे पर पहुंचे कि मानव शरीर का सामान्य तापमान के लिए 98.6 का आंकड़ा मूल रूप से गलत है। उन्होंने पाया कि हमारे शरीर का तापमान सुबह के वक्त थोड़ा कम होता है और शाम तक थोड़ा सा बढ़ जाता है। इसके अलावा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के शरीर का तापमान मामूली सा ज्यादा होता है। बड़ों के मुकाबले बच्चों का थोड़ा सा ज्यादा होता है। फिर अलग-अलग तरह के लोगों के शरीर का सामान्य तापमान अलग-अलग होता है, यानी पूरे मानव समुदाय के लिए 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट का मानक सही नहीं है। वह इस नतीजे पर पहुंचे कि शरीर का सामान्य तापमान और बुखार, दोनों ही जटिल चीजें हैं, एक आंकड़े के सरल से इसे नहीं समझा जा सकता। सच तो यह है कि सटीक पैमाने सिर्फ भौतिक चीजों और प्रक्रियाओं के ही बनते हैं। सामाजिक और शारीरिक प्रक्रियाओं के पैमाने सिर्फ संकेतिक होते हैं, इनमें उनके उतार-चढ़ाव की थाह भर पाई जा सकती है। दिक्कत तब आती है, जब हम इसे जड़ मानक मान लेते है।
Q.2 मानव शरीर के तापमान के संदर्भ में सही कथन चुनिए-
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-
-
Correct
Incorrect
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Question 3 of 25
3. Question
Category: General Hindi
प्रश्न (1 से 5) तक के लिए निर्देश : अनुच्छेद पर आधारित प्रश्न दिए गए हैं, प्रश्न अनुसार विकल्पों का चयन करें।
मापना सभ्य इंसान की पुरानी फितरत का हिस्सा रहा है। दुनिया भर के सभ्य समाजों ने अपने-अपने ढंग से समय को, दूरी को, गति को, आकार को, क्षेत्रफल को नापने के पैमाने विकसित किए हैं। फिर एक ऐसा दौर दौर आया, जब हर चीज को ही नापा जाने लगा – सर्दी को, गर्मी को, सुख को, दुख को, अर्थव्यवस्था को, महंगाई को और यहां तक कि अक्ल को भी। इसी के साथ डेढ़ सौ साल पहले एक और पैमाना विकसित हुआ, इंसान के बुखार को मापने का। कार्ल वंडरलिच ने शरीर के तापमान को समझने के लिए एक लंबा शोध किया और वह इस नतीजे पर पहुंचे कि 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट शरीर का सामान्य तापमान है, शरीर का तापमान अगर इससे ज्यादा हो, तो इसका अर्थ है बुखार। यही तापमान चिकित्सा व्यवसाय का मानक बन गया। 98.6 का आंकड़ा जल्द ही एक मुहावरा बनकर समाज और संस्कृति के कई क्षेत्रों में इस्तेमाल होने लगा। इसी नाम से एक गीत बना, एक उपन्यास लिखा गया, सर्वाइकल गाइड आई और दुनिया के कई देशों में एफएम चैनल खुले। पर अब 98.6 के इस आंकड़े पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के जोनातन हुसैन ने पिछले दिनों इस पर लंबा शोध किया, तो वह इस नतीजे पर पहुंचे कि मानव शरीर का सामान्य तापमान के लिए 98.6 का आंकड़ा मूल रूप से गलत है। उन्होंने पाया कि हमारे शरीर का तापमान सुबह के वक्त थोड़ा कम होता है और शाम तक थोड़ा सा बढ़ जाता है। इसके अलावा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के शरीर का तापमान मामूली सा ज्यादा होता है। बड़ों के मुकाबले बच्चों का थोड़ा सा ज्यादा होता है। फिर अलग-अलग तरह के लोगों के शरीर का सामान्य तापमान अलग-अलग होता है, यानी पूरे मानव समुदाय के लिए 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट का मानक सही नहीं है। वह इस नतीजे पर पहुंचे कि शरीर का सामान्य तापमान और बुखार, दोनों ही जटिल चीजें हैं, एक आंकड़े के सरल से इसे नहीं समझा जा सकता। सच तो यह है कि सटीक पैमाने सिर्फ भौतिक चीजों और प्रक्रियाओं के ही बनते हैं। सामाजिक और शारीरिक प्रक्रियाओं के पैमाने सिर्फ संकेतिक होते हैं, इनमें उनके उतार-चढ़ाव की थाह भर पाई जा सकती है। दिक्कत तब आती है, जब हम इसे जड़ मानक मान लेते है।
Q.3 सामाजिक और शारीरिक प्रक्रियाओं के पैमाने से दिक्कत कब आती है?
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Correct
Incorrect
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Question 4 of 25
4. Question
Category: General Hindi
प्रश्न (1 से 5) तक के लिए निर्देश : अनुच्छेद पर आधारित प्रश्न दिए गए हैं, प्रश्न अनुसार विकल्पों का चयन करें।
मापना सभ्य इंसान की पुरानी फितरत का हिस्सा रहा है। दुनिया भर के सभ्य समाजों ने अपने-अपने ढंग से समय को, दूरी को, गति को, आकार को, क्षेत्रफल को नापने के पैमाने विकसित किए हैं। फिर एक ऐसा दौर दौर आया, जब हर चीज को ही नापा जाने लगा – सर्दी को, गर्मी को, सुख को, दुख को, अर्थव्यवस्था को, महंगाई को और यहां तक कि अक्ल को भी। इसी के साथ डेढ़ सौ साल पहले एक और पैमाना विकसित हुआ, इंसान के बुखार को मापने का। कार्ल वंडरलिच ने शरीर के तापमान को समझने के लिए एक लंबा शोध किया और वह इस नतीजे पर पहुंचे कि 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट शरीर का सामान्य तापमान है, शरीर का तापमान अगर इससे ज्यादा हो, तो इसका अर्थ है बुखार। यही तापमान चिकित्सा व्यवसाय का मानक बन गया। 98.6 का आंकड़ा जल्द ही एक मुहावरा बनकर समाज और संस्कृति के कई क्षेत्रों में इस्तेमाल होने लगा। इसी नाम से एक गीत बना, एक उपन्यास लिखा गया, सर्वाइकल गाइड आई और दुनिया के कई देशों में एफएम चैनल खुले। पर अब 98.6 के इस आंकड़े पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के जोनातन हुसैन ने पिछले दिनों इस पर लंबा शोध किया, तो वह इस नतीजे पर पहुंचे कि मानव शरीर का सामान्य तापमान के लिए 98.6 का आंकड़ा मूल रूप से गलत है। उन्होंने पाया कि हमारे शरीर का तापमान सुबह के वक्त थोड़ा कम होता है और शाम तक थोड़ा सा बढ़ जाता है। इसके अलावा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के शरीर का तापमान मामूली सा ज्यादा होता है। बड़ों के मुकाबले बच्चों का थोड़ा सा ज्यादा होता है। फिर अलग-अलग तरह के लोगों के शरीर का सामान्य तापमान अलग-अलग होता है, यानी पूरे मानव समुदाय के लिए 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट का मानक सही नहीं है। वह इस नतीजे पर पहुंचे कि शरीर का सामान्य तापमान और बुखार, दोनों ही जटिल चीजें हैं, एक आंकड़े के सरल से इसे नहीं समझा जा सकता। सच तो यह है कि सटीक पैमाने सिर्फ भौतिक चीजों और प्रक्रियाओं के ही बनते हैं। सामाजिक और शारीरिक प्रक्रियाओं के पैमाने सिर्फ संकेतिक होते हैं, इनमें उनके उतार-चढ़ाव की थाह भर पाई जा सकती है। दिक्कत तब आती है, जब हम इसे जड़ मानक मान लेते है।
Q.4 98.6 के संदर्भ में असत्य कथन है-
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-
-
-
Correct
Incorrect
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Question 5 of 25
5. Question
Category: General Hindi
प्रश्न (1 से 5) तक के लिए निर्देश : अनुच्छेद पर आधारित प्रश्न दिए गए हैं, प्रश्न अनुसार विकल्पों का चयन करें।
मापना सभ्य इंसान की पुरानी फितरत का हिस्सा रहा है। दुनिया भर के सभ्य समाजों ने अपने-अपने ढंग से समय को, दूरी को, गति को, आकार को, क्षेत्रफल को नापने के पैमाने विकसित किए हैं। फिर एक ऐसा दौर दौर आया, जब हर चीज को ही नापा जाने लगा – सर्दी को, गर्मी को, सुख को, दुख को, अर्थव्यवस्था को, महंगाई को और यहां तक कि अक्ल को भी। इसी के साथ डेढ़ सौ साल पहले एक और पैमाना विकसित हुआ, इंसान के बुखार को मापने का। कार्ल वंडरलिच ने शरीर के तापमान को समझने के लिए एक लंबा शोध किया और वह इस नतीजे पर पहुंचे कि 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट शरीर का सामान्य तापमान है, शरीर का तापमान अगर इससे ज्यादा हो, तो इसका अर्थ है बुखार। यही तापमान चिकित्सा व्यवसाय का मानक बन गया। 98.6 का आंकड़ा जल्द ही एक मुहावरा बनकर समाज और संस्कृति के कई क्षेत्रों में इस्तेमाल होने लगा। इसी नाम से एक गीत बना, एक उपन्यास लिखा गया, सर्वाइकल गाइड आई और दुनिया के कई देशों में एफएम चैनल खुले। पर अब 98.6 के इस आंकड़े पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के जोनातन हुसैन ने पिछले दिनों इस पर लंबा शोध किया, तो वह इस नतीजे पर पहुंचे कि मानव शरीर का सामान्य तापमान के लिए 98.6 का आंकड़ा मूल रूप से गलत है। उन्होंने पाया कि हमारे शरीर का तापमान सुबह के वक्त थोड़ा कम होता है और शाम तक थोड़ा सा बढ़ जाता है। इसके अलावा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के शरीर का तापमान मामूली सा ज्यादा होता है। बड़ों के मुकाबले बच्चों का थोड़ा सा ज्यादा होता है। फिर अलग-अलग तरह के लोगों के शरीर का सामान्य तापमान अलग-अलग होता है, यानी पूरे मानव समुदाय के लिए 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट का मानक सही नहीं है। वह इस नतीजे पर पहुंचे कि शरीर का सामान्य तापमान और बुखार, दोनों ही जटिल चीजें हैं, एक आंकड़े के सरल से इसे नहीं समझा जा सकता। सच तो यह है कि सटीक पैमाने सिर्फ भौतिक चीजों और प्रक्रियाओं के ही बनते हैं। सामाजिक और शारीरिक प्रक्रियाओं के पैमाने सिर्फ संकेतिक होते हैं, इनमें उनके उतार-चढ़ाव की थाह भर पाई जा सकती है। दिक्कत तब आती है, जब हम इसे जड़ मानक मान लेते है।
Q.5 जोनाथन हुसनैन ने हाल ही में क्या किया?
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Correct
Incorrect
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Question 6 of 25
6. Question
Category: General Hindi
Q.6 व्यक्तिगत पत्र के संबंध में असत्य कथन है-
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Correct
Incorrect
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Question 7 of 25
7. Question
Category: General Hindi
Q.7 सूमेलित किजिए-
a जुलाई
I व्यक्तिवाचक
b मैना
II जातिवाचक
c कुंज
III द्रव्यवाचक
d पानी
IV समूहवाचक
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Correct
Incorrect
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Question 8 of 25
8. Question
Category: General Hindi
Q.8 ‘श्रद्धानंद’ का संधि विच्छेद क्या है?
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Correct
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Question 9 of 25
9. Question
Category: General Hindi
Q.9 ‘यह घोड़ा अच्छा है’ वाक्य में ‘यह’ क्या है?
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Correct
Incorrect
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Question 10 of 25
10. Question
Category: General Hindi
Q.10 निम्न में से कर्मधारय समास का उदाहरण कौन सा है?
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Correct
Incorrect
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Question 11 of 25
11. Question
Category: General Hindi
Q.11 ‘तामसिक’ का विलोम क्या होगा?
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Correct
Incorrect
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Question 12 of 25
12. Question
Category: General Hindi
Q.12 ‘अनाज’ का पर्यायवाची शब्द है?
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Correct
Incorrect
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Question 13 of 25
13. Question
Category: General Hindi
Q.13 निम्न में से ‘ई’ प्रत्यय से निर्मित शब्द कौन सा नहीं है?
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-
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Correct
Incorrect
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Question 14 of 25
14. Question
Category: General Hindi
Q.14 ‘गांठ का पूरा’ मुहावरे का अर्थ है?
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Correct
Incorrect
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Question 15 of 25
15. Question
Category: General Hindi
Q.15 सुमेलित किजिए –
a कान लगाना
I चौकन्ना होना
b कान खड़े करना
II सजग होना
c आँख लगाना
III ध्यान देना
d आँखे खुलना
IV निगाह रखना
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Correct
Incorrect
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Question 16 of 25
16. Question
Category: General Hindi
Q.16 निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए और सही उत्तर चुनिए :
- हिंदी के पर्यायवाची शब्द संस्कृत के तद्भव शब्द हैं।
- पर्यायवाची शब्द को ‘प्रतिशब्द’ भी कहते हैं।
- जिन शब्दों के अर्थ में समानता हो, उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते हैं।
-
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-
-
Correct
Incorrect
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Question 17 of 25
17. Question
Category: General Hindi
Q.17 निम्न में से कौन सा विलोम शब्द सुमेलित नहीं है-
-
-
-
-
Correct
Incorrect
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Question 18 of 25
18. Question
Category: General Hindi
Q.18 सुमेलित करें-
शब्द
समास
a विदेशगमन
I बहुब्रीही
b गिरिधर
II तत्पुरुष
c देश-विदेश
III अव्ययीभाव
d यथाशीघ्र
IV द्वंद्व
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Correct
Incorrect
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Question 19 of 25
19. Question
Category: General Hindi
Q.19 हिन्दी में ‘मैं’ का बहुवचन है-
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Correct
Incorrect
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Question 20 of 25
20. Question
Category: General Hindi
Q.20 निम्नलिखित में से कौन सा वर्ण दंत्य नहीं है?
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Correct
Incorrect
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Question 21 of 25
21. Question
Category: General Hindi
Q.21 नौ, दो ___ होना
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Correct
Incorrect
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Question 22 of 25
22. Question
Category: General Hindi
Q.22 निम्नलिखित विकल्पों में से एक वचन शब्द कौन सा है?
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Correct
Incorrect
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Question 23 of 25
23. Question
Category: General Hindi
Q.23 निम्नलिखित में से कौन सा वचन जोड़ा सही नहीं है?
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Correct
Incorrect
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Question 24 of 25
24. Question
Category: General Hindi
Q.24 दो पहाड़ों के बीच से जाने का मार्ग –
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Correct
Incorrect
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Question 25 of 25
25. Question
Category: General Hindi
Q.25 दो और दो ___ नहीं होते
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Correct
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Questions:
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Information
Exam Name : UPSSSC Lekhpal Free Mock Test – 07
Exam Duration : 2 Hours
Total Questions : 100
विषय | प्रश्न संख्या | अंक |
सामान्य हिन्दी | 25 | 25 |
गणित | 25 | 25 |
सामान्य ज्ञान | 25 | 25 |
ग्राम्य समाज एवं विकास | 25 | 25 |
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Question 1 of 25
1. Question
Category: General Hindiप्रश्न (1 से 5) तक के लिए निर्देश : अनुच्छेद पर आधारित प्रश्न दिए गए हैं, प्रश्न अनुसार विकल्पों का चयन करें।
मापना सभ्य इंसान की पुरानी फितरत का हिस्सा रहा है। दुनिया भर के सभ्य समाजों ने अपने-अपने ढंग से समय को, दूरी को, गति को, आकार को, क्षेत्रफल को नापने के पैमाने विकसित किए हैं। फिर एक ऐसा दौर दौर आया, जब हर चीज को ही नापा जाने लगा – सर्दी को, गर्मी को, सुख को, दुख को, अर्थव्यवस्था को, महंगाई को और यहां तक कि अक्ल को भी। इसी के साथ डेढ़ सौ साल पहले एक और पैमाना विकसित हुआ, इंसान के बुखार को मापने का। कार्ल वंडरलिच ने शरीर के तापमान को समझने के लिए एक लंबा शोध किया और वह इस नतीजे पर पहुंचे कि 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट शरीर का सामान्य तापमान है, शरीर का तापमान अगर इससे ज्यादा हो, तो इसका अर्थ है बुखार। यही तापमान चिकित्सा व्यवसाय का मानक बन गया। 98.6 का आंकड़ा जल्द ही एक मुहावरा बनकर समाज और संस्कृति के कई क्षेत्रों में इस्तेमाल होने लगा। इसी नाम से एक गीत बना, एक उपन्यास लिखा गया, सर्वाइकल गाइड आई और दुनिया के कई देशों में एफएम चैनल खुले। पर अब 98.6 के इस आंकड़े पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के जोनातन हुसैन ने पिछले दिनों इस पर लंबा शोध किया, तो वह इस नतीजे पर पहुंचे कि मानव शरीर का सामान्य तापमान के लिए 98.6 का आंकड़ा मूल रूप से गलत है। उन्होंने पाया कि हमारे शरीर का तापमान सुबह के वक्त थोड़ा कम होता है और शाम तक थोड़ा सा बढ़ जाता है। इसके अलावा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के शरीर का तापमान मामूली सा ज्यादा होता है। बड़ों के मुकाबले बच्चों का थोड़ा सा ज्यादा होता है। फिर अलग-अलग तरह के लोगों के शरीर का सामान्य तापमान अलग-अलग होता है, यानी पूरे मानव समुदाय के लिए 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट का मानक सही नहीं है। वह इस नतीजे पर पहुंचे कि शरीर का सामान्य तापमान और बुखार, दोनों ही जटिल चीजें हैं, एक आंकड़े के सरल से इसे नहीं समझा जा सकता। सच तो यह है कि सटीक पैमाने सिर्फ भौतिक चीजों और प्रक्रियाओं के ही बनते हैं। सामाजिक और शारीरिक प्रक्रियाओं के पैमाने सिर्फ संकेतिक होते हैं, इनमें उनके उतार-चढ़ाव की थाह भर पाई जा सकती है। दिक्कत तब आती है, जब हम इसे जड़ मानक मान लेते है।
Q.1 सभ्य इंसान की पुरानी फितरत का हिस्सा रहा है?
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Question 2 of 25
2. Question
Category: General Hindiप्रश्न (1 से 5) तक के लिए निर्देश : अनुच्छेद पर आधारित प्रश्न दिए गए हैं, प्रश्न अनुसार विकल्पों का चयन करें।
मापना सभ्य इंसान की पुरानी फितरत का हिस्सा रहा है। दुनिया भर के सभ्य समाजों ने अपने-अपने ढंग से समय को, दूरी को, गति को, आकार को, क्षेत्रफल को नापने के पैमाने विकसित किए हैं। फिर एक ऐसा दौर दौर आया, जब हर चीज को ही नापा जाने लगा – सर्दी को, गर्मी को, सुख को, दुख को, अर्थव्यवस्था को, महंगाई को और यहां तक कि अक्ल को भी। इसी के साथ डेढ़ सौ साल पहले एक और पैमाना विकसित हुआ, इंसान के बुखार को मापने का। कार्ल वंडरलिच ने शरीर के तापमान को समझने के लिए एक लंबा शोध किया और वह इस नतीजे पर पहुंचे कि 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट शरीर का सामान्य तापमान है, शरीर का तापमान अगर इससे ज्यादा हो, तो इसका अर्थ है बुखार। यही तापमान चिकित्सा व्यवसाय का मानक बन गया। 98.6 का आंकड़ा जल्द ही एक मुहावरा बनकर समाज और संस्कृति के कई क्षेत्रों में इस्तेमाल होने लगा। इसी नाम से एक गीत बना, एक उपन्यास लिखा गया, सर्वाइकल गाइड आई और दुनिया के कई देशों में एफएम चैनल खुले। पर अब 98.6 के इस आंकड़े पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के जोनातन हुसैन ने पिछले दिनों इस पर लंबा शोध किया, तो वह इस नतीजे पर पहुंचे कि मानव शरीर का सामान्य तापमान के लिए 98.6 का आंकड़ा मूल रूप से गलत है। उन्होंने पाया कि हमारे शरीर का तापमान सुबह के वक्त थोड़ा कम होता है और शाम तक थोड़ा सा बढ़ जाता है। इसके अलावा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के शरीर का तापमान मामूली सा ज्यादा होता है। बड़ों के मुकाबले बच्चों का थोड़ा सा ज्यादा होता है। फिर अलग-अलग तरह के लोगों के शरीर का सामान्य तापमान अलग-अलग होता है, यानी पूरे मानव समुदाय के लिए 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट का मानक सही नहीं है। वह इस नतीजे पर पहुंचे कि शरीर का सामान्य तापमान और बुखार, दोनों ही जटिल चीजें हैं, एक आंकड़े के सरल से इसे नहीं समझा जा सकता। सच तो यह है कि सटीक पैमाने सिर्फ भौतिक चीजों और प्रक्रियाओं के ही बनते हैं। सामाजिक और शारीरिक प्रक्रियाओं के पैमाने सिर्फ संकेतिक होते हैं, इनमें उनके उतार-चढ़ाव की थाह भर पाई जा सकती है। दिक्कत तब आती है, जब हम इसे जड़ मानक मान लेते है।
Q.2 मानव शरीर के तापमान के संदर्भ में सही कथन चुनिए-
Correct
Incorrect
-
Question 3 of 25
3. Question
Category: General Hindiप्रश्न (1 से 5) तक के लिए निर्देश : अनुच्छेद पर आधारित प्रश्न दिए गए हैं, प्रश्न अनुसार विकल्पों का चयन करें।
मापना सभ्य इंसान की पुरानी फितरत का हिस्सा रहा है। दुनिया भर के सभ्य समाजों ने अपने-अपने ढंग से समय को, दूरी को, गति को, आकार को, क्षेत्रफल को नापने के पैमाने विकसित किए हैं। फिर एक ऐसा दौर दौर आया, जब हर चीज को ही नापा जाने लगा – सर्दी को, गर्मी को, सुख को, दुख को, अर्थव्यवस्था को, महंगाई को और यहां तक कि अक्ल को भी। इसी के साथ डेढ़ सौ साल पहले एक और पैमाना विकसित हुआ, इंसान के बुखार को मापने का। कार्ल वंडरलिच ने शरीर के तापमान को समझने के लिए एक लंबा शोध किया और वह इस नतीजे पर पहुंचे कि 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट शरीर का सामान्य तापमान है, शरीर का तापमान अगर इससे ज्यादा हो, तो इसका अर्थ है बुखार। यही तापमान चिकित्सा व्यवसाय का मानक बन गया। 98.6 का आंकड़ा जल्द ही एक मुहावरा बनकर समाज और संस्कृति के कई क्षेत्रों में इस्तेमाल होने लगा। इसी नाम से एक गीत बना, एक उपन्यास लिखा गया, सर्वाइकल गाइड आई और दुनिया के कई देशों में एफएम चैनल खुले। पर अब 98.6 के इस आंकड़े पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के जोनातन हुसैन ने पिछले दिनों इस पर लंबा शोध किया, तो वह इस नतीजे पर पहुंचे कि मानव शरीर का सामान्य तापमान के लिए 98.6 का आंकड़ा मूल रूप से गलत है। उन्होंने पाया कि हमारे शरीर का तापमान सुबह के वक्त थोड़ा कम होता है और शाम तक थोड़ा सा बढ़ जाता है। इसके अलावा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के शरीर का तापमान मामूली सा ज्यादा होता है। बड़ों के मुकाबले बच्चों का थोड़ा सा ज्यादा होता है। फिर अलग-अलग तरह के लोगों के शरीर का सामान्य तापमान अलग-अलग होता है, यानी पूरे मानव समुदाय के लिए 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट का मानक सही नहीं है। वह इस नतीजे पर पहुंचे कि शरीर का सामान्य तापमान और बुखार, दोनों ही जटिल चीजें हैं, एक आंकड़े के सरल से इसे नहीं समझा जा सकता। सच तो यह है कि सटीक पैमाने सिर्फ भौतिक चीजों और प्रक्रियाओं के ही बनते हैं। सामाजिक और शारीरिक प्रक्रियाओं के पैमाने सिर्फ संकेतिक होते हैं, इनमें उनके उतार-चढ़ाव की थाह भर पाई जा सकती है। दिक्कत तब आती है, जब हम इसे जड़ मानक मान लेते है।
Q.3 सामाजिक और शारीरिक प्रक्रियाओं के पैमाने से दिक्कत कब आती है?
Correct
Incorrect
-
Question 4 of 25
4. Question
Category: General Hindiप्रश्न (1 से 5) तक के लिए निर्देश : अनुच्छेद पर आधारित प्रश्न दिए गए हैं, प्रश्न अनुसार विकल्पों का चयन करें।
मापना सभ्य इंसान की पुरानी फितरत का हिस्सा रहा है। दुनिया भर के सभ्य समाजों ने अपने-अपने ढंग से समय को, दूरी को, गति को, आकार को, क्षेत्रफल को नापने के पैमाने विकसित किए हैं। फिर एक ऐसा दौर दौर आया, जब हर चीज को ही नापा जाने लगा – सर्दी को, गर्मी को, सुख को, दुख को, अर्थव्यवस्था को, महंगाई को और यहां तक कि अक्ल को भी। इसी के साथ डेढ़ सौ साल पहले एक और पैमाना विकसित हुआ, इंसान के बुखार को मापने का। कार्ल वंडरलिच ने शरीर के तापमान को समझने के लिए एक लंबा शोध किया और वह इस नतीजे पर पहुंचे कि 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट शरीर का सामान्य तापमान है, शरीर का तापमान अगर इससे ज्यादा हो, तो इसका अर्थ है बुखार। यही तापमान चिकित्सा व्यवसाय का मानक बन गया। 98.6 का आंकड़ा जल्द ही एक मुहावरा बनकर समाज और संस्कृति के कई क्षेत्रों में इस्तेमाल होने लगा। इसी नाम से एक गीत बना, एक उपन्यास लिखा गया, सर्वाइकल गाइड आई और दुनिया के कई देशों में एफएम चैनल खुले। पर अब 98.6 के इस आंकड़े पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के जोनातन हुसैन ने पिछले दिनों इस पर लंबा शोध किया, तो वह इस नतीजे पर पहुंचे कि मानव शरीर का सामान्य तापमान के लिए 98.6 का आंकड़ा मूल रूप से गलत है। उन्होंने पाया कि हमारे शरीर का तापमान सुबह के वक्त थोड़ा कम होता है और शाम तक थोड़ा सा बढ़ जाता है। इसके अलावा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के शरीर का तापमान मामूली सा ज्यादा होता है। बड़ों के मुकाबले बच्चों का थोड़ा सा ज्यादा होता है। फिर अलग-अलग तरह के लोगों के शरीर का सामान्य तापमान अलग-अलग होता है, यानी पूरे मानव समुदाय के लिए 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट का मानक सही नहीं है। वह इस नतीजे पर पहुंचे कि शरीर का सामान्य तापमान और बुखार, दोनों ही जटिल चीजें हैं, एक आंकड़े के सरल से इसे नहीं समझा जा सकता। सच तो यह है कि सटीक पैमाने सिर्फ भौतिक चीजों और प्रक्रियाओं के ही बनते हैं। सामाजिक और शारीरिक प्रक्रियाओं के पैमाने सिर्फ संकेतिक होते हैं, इनमें उनके उतार-चढ़ाव की थाह भर पाई जा सकती है। दिक्कत तब आती है, जब हम इसे जड़ मानक मान लेते है।
Q.4 98.6 के संदर्भ में असत्य कथन है-
Correct
Incorrect
-
Question 5 of 25
5. Question
Category: General Hindiप्रश्न (1 से 5) तक के लिए निर्देश : अनुच्छेद पर आधारित प्रश्न दिए गए हैं, प्रश्न अनुसार विकल्पों का चयन करें।
मापना सभ्य इंसान की पुरानी फितरत का हिस्सा रहा है। दुनिया भर के सभ्य समाजों ने अपने-अपने ढंग से समय को, दूरी को, गति को, आकार को, क्षेत्रफल को नापने के पैमाने विकसित किए हैं। फिर एक ऐसा दौर दौर आया, जब हर चीज को ही नापा जाने लगा – सर्दी को, गर्मी को, सुख को, दुख को, अर्थव्यवस्था को, महंगाई को और यहां तक कि अक्ल को भी। इसी के साथ डेढ़ सौ साल पहले एक और पैमाना विकसित हुआ, इंसान के बुखार को मापने का। कार्ल वंडरलिच ने शरीर के तापमान को समझने के लिए एक लंबा शोध किया और वह इस नतीजे पर पहुंचे कि 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट शरीर का सामान्य तापमान है, शरीर का तापमान अगर इससे ज्यादा हो, तो इसका अर्थ है बुखार। यही तापमान चिकित्सा व्यवसाय का मानक बन गया। 98.6 का आंकड़ा जल्द ही एक मुहावरा बनकर समाज और संस्कृति के कई क्षेत्रों में इस्तेमाल होने लगा। इसी नाम से एक गीत बना, एक उपन्यास लिखा गया, सर्वाइकल गाइड आई और दुनिया के कई देशों में एफएम चैनल खुले। पर अब 98.6 के इस आंकड़े पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के जोनातन हुसैन ने पिछले दिनों इस पर लंबा शोध किया, तो वह इस नतीजे पर पहुंचे कि मानव शरीर का सामान्य तापमान के लिए 98.6 का आंकड़ा मूल रूप से गलत है। उन्होंने पाया कि हमारे शरीर का तापमान सुबह के वक्त थोड़ा कम होता है और शाम तक थोड़ा सा बढ़ जाता है। इसके अलावा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के शरीर का तापमान मामूली सा ज्यादा होता है। बड़ों के मुकाबले बच्चों का थोड़ा सा ज्यादा होता है। फिर अलग-अलग तरह के लोगों के शरीर का सामान्य तापमान अलग-अलग होता है, यानी पूरे मानव समुदाय के लिए 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट का मानक सही नहीं है। वह इस नतीजे पर पहुंचे कि शरीर का सामान्य तापमान और बुखार, दोनों ही जटिल चीजें हैं, एक आंकड़े के सरल से इसे नहीं समझा जा सकता। सच तो यह है कि सटीक पैमाने सिर्फ भौतिक चीजों और प्रक्रियाओं के ही बनते हैं। सामाजिक और शारीरिक प्रक्रियाओं के पैमाने सिर्फ संकेतिक होते हैं, इनमें उनके उतार-चढ़ाव की थाह भर पाई जा सकती है। दिक्कत तब आती है, जब हम इसे जड़ मानक मान लेते है।
Q.5 जोनाथन हुसनैन ने हाल ही में क्या किया?
Correct
Incorrect
-
Question 6 of 25
6. Question
Category: General HindiQ.6 व्यक्तिगत पत्र के संबंध में असत्य कथन है-
Correct
Incorrect
-
Question 7 of 25
7. Question
Category: General HindiQ.7 सूमेलित किजिए-
a जुलाई I व्यक्तिवाचक b मैना II जातिवाचक c कुंज III द्रव्यवाचक d पानी IV समूहवाचक Correct
Incorrect
-
Question 8 of 25
8. Question
Category: General HindiQ.8 ‘श्रद्धानंद’ का संधि विच्छेद क्या है?
Correct
Incorrect
-
Question 9 of 25
9. Question
Category: General HindiQ.9 ‘यह घोड़ा अच्छा है’ वाक्य में ‘यह’ क्या है?
Correct
Incorrect
-
Question 10 of 25
10. Question
Category: General HindiQ.10 निम्न में से कर्मधारय समास का उदाहरण कौन सा है?
Correct
Incorrect
-
Question 11 of 25
11. Question
Category: General HindiQ.11 ‘तामसिक’ का विलोम क्या होगा?
Correct
Incorrect
-
Question 12 of 25
12. Question
Category: General HindiQ.12 ‘अनाज’ का पर्यायवाची शब्द है?
Correct
Incorrect
-
Question 13 of 25
13. Question
Category: General HindiQ.13 निम्न में से ‘ई’ प्रत्यय से निर्मित शब्द कौन सा नहीं है?
Correct
Incorrect
-
Question 14 of 25
14. Question
Category: General HindiQ.14 ‘गांठ का पूरा’ मुहावरे का अर्थ है?
Correct
Incorrect
-
Question 15 of 25
15. Question
Category: General HindiQ.15 सुमेलित किजिए –
a कान लगाना I चौकन्ना होना b कान खड़े करना II सजग होना c आँख लगाना III ध्यान देना d आँखे खुलना IV निगाह रखना Correct
Incorrect
-
Question 16 of 25
16. Question
Category: General HindiQ.16 निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए और सही उत्तर चुनिए :
- हिंदी के पर्यायवाची शब्द संस्कृत के तद्भव शब्द हैं।
- पर्यायवाची शब्द को ‘प्रतिशब्द’ भी कहते हैं।
- जिन शब्दों के अर्थ में समानता हो, उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते हैं।
Correct
Incorrect
-
Question 17 of 25
17. Question
Category: General HindiQ.17 निम्न में से कौन सा विलोम शब्द सुमेलित नहीं है-
Correct
Incorrect
-
Question 18 of 25
18. Question
Category: General HindiQ.18 सुमेलित करें-
शब्द समास a विदेशगमन I बहुब्रीही b गिरिधर II तत्पुरुष c देश-विदेश III अव्ययीभाव d यथाशीघ्र IV द्वंद्व Correct
Incorrect
-
Question 19 of 25
19. Question
Category: General HindiQ.19 हिन्दी में ‘मैं’ का बहुवचन है-
Correct
Incorrect
-
Question 20 of 25
20. Question
Category: General HindiQ.20 निम्नलिखित में से कौन सा वर्ण दंत्य नहीं है?
Correct
Incorrect
-
Question 21 of 25
21. Question
Category: General HindiQ.21 नौ, दो ___ होना
Correct
Incorrect
-
Question 22 of 25
22. Question
Category: General HindiQ.22 निम्नलिखित विकल्पों में से एक वचन शब्द कौन सा है?
Correct
Incorrect
-
Question 23 of 25
23. Question
Category: General HindiQ.23 निम्नलिखित में से कौन सा वचन जोड़ा सही नहीं है?
Correct
Incorrect
-
Question 24 of 25
24. Question
Category: General HindiQ.24 दो पहाड़ों के बीच से जाने का मार्ग –
Correct
Incorrect
-
Question 25 of 25
25. Question
Category: General HindiQ.25 दो और दो ___ नहीं होते
Correct
Incorrect
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Nice