Madhya Pradesh Places To Visit

मध्य प्रदेश राज्य भारत का हृदय तथा पर्यटकों का स्वर्ग है। यहाँ के दर्शनीय स्थलों मे विविधता है। इनका पौराणिक एवं ऐतिहासिक ही नहीं, बल्कि धार्मिक व सामाजिक महत्व भी है। सैलानियों के लिए मध्य प्रदेश आकर्षण ही आकर्षण है। आकर्षक पर्यटन स्थलों में प्राचीन गुफाएँ, दुर्ग, राजसी प्रसाद, समाधि व मकबरे, धार्मिक तीर्थ स्थल, प्राकृतिक रमणीक स्थल, राष्ट्रीय उद्यान आदि आते है। वर्ष 2020 में आने वाले पर्यटकों की संख्या 2 करोड़ 13 लाख थी। हालांकि कोरोना की वजह से विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई है।

मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल (Major Tourist Places of Madhya Pradesh)

 

पचमढ़ी (Panchmani)

सतपुड़ा पर्वत के मनोरम पठार पर अवस्थित पचमढ़ी (होशंगाबाद) का प्राकृतिक सौन्दर्य पूर्ण पर्यटक स्थलों में से एक है। पचमढ़ी घाटी की खोज 1857 में बंगाल लांसर के कैप्टन जेम्स फोरासिथ ने की थी। यहां 1067 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक सुंदर हिल स्टेशन है। प्राकृतिक सुंदरता और शांति तथा एकांत इसकी सबसे अद्भुत विशेषताएं हैं। पचमढ़ी में शीतल समीर के झोंकों का स्पर्श अत्यंत आनंददाई तथा सुखद प्रतीत होता है। यहां की पर्वतीय जलवायु स्वास्थ्यवर्धक है। यह माना जाता है कि यहां पांडव भाइयों ने शरण ली थी। प्रियदर्शिनी, हाड़ीखोह पचमढ़ी की सबसे प्रभावोत्पादक घाटियाँ हैं। राजगिरी, रजत प्रपात, अप्सरा विहार, लांजीगिरी, जलावरतरण (डचेस फॉल) आईरीन सरोवर, जटा शंकर, पांडव गुफाएं, महादेव गुफा, प्रियदर्शनी पॉइंट, राजेंद्र गिरी, हन्डी खो, चौरागढ़, मधुमक्खी झरना, तामिया, सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क, छोटा महादेव, महादेव धूपगढ़, धुआंधार प्रपात, भ्रांत नीर (डिरोथी डिप), अस्तांचल, बीनवादक की गुफा (हार्पर केव) सरदार गुफा आदि देखने योग्य प्रमुख स्थान है।


महेश्वर (Maheshwar)

महेश्वर नगर मध्य प्रदेश के खरगोन जनपद में स्थित है। यह नगर प्रसिद्ध सम्राट कार्तनीर्य अर्जुन की प्राचीन राजधानी महिष्मति है। इसका उल्लेख रामायण कथा महाभारत ग्रंथों में भी किया गया है। रानी अहिल्याबाई होल्कर ने तो यहां की प्रसिद्धि में चार चांद लगा दिए। नर्मदा नदी के किनारे बसा यह खूबसूरत पर्यटक स्थल मध्यप्रदेश शासन द्वारा ‘पवित्र नारी’ का दर्जा प्राप्त है। यह अपने आप में कला, धार्मिक, संस्कृति व ऐतिहासिक महत्व को समेटे हुए लगभग 2,500 वर्ष पुराना है। यह नगर राजा महिष्मान, राजा सहस्त्रबाहु (जिन्होंने रावण को बंदी बनाया था) जैसे वीर पुरुषों की राजधानी रहा है। महेश्वर के मंदिर तथा दुर्ग परिसर के सौंदर्य के अपार आकर्षण विद्यमान है। महेश्वर की साड़ियां अत्यंत प्रसिद्ध है। यहां के दर्शनीय स्थलों में अहिल्या संग्रहालय, राजेश्वर मंदिर, पेशवा घाट, होल्कर परिवार की छतरियां, राजगद्दी और रजवाड़ा घाट आदि प्रमुख हैं।


अमरकंटक (Amarkantak) 


यह मध्य प्रदेश के अनूपपुर जनपद की पुष्पराजगढ़ तहसील के दक्षिण पूर्वी में स्थित मैकाल पर्वत मालाओं में स्थित है। यह हिंदुओं का पवित्र स्थल है। यह नर्मदा, सोन तथा जोहिला नदियों का उद्गम स्थल भी है और आदिकाल से ऋषि-मुनियों की तपोभूमि भी रहा है। यहां के दर्शनीय स्थलों में अमरकंटक के मंदिर, जिनकी संख्या 24 है। इनके अतिरिक्त दूधधारा, कपिलधारा, जलप्रपात, मां की बगिया, सोनमुदा, कबीर चबूतरा, मृगु कमंडल तथा पुष्कर बांध अधिक प्रमुख है।

चित्रकूट (Chitrakoot)

चित्रकूट मध्य प्रदेश के सतना जनपद में मंदाकिनी नदी पर बसा हुआ है। यह शांत एवं सुंदर प्रकृति व ईश्वर की अनुपम देन है। चारों ओर से वनों तथा विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं से घिरे इस पवित्र स्थान को अनेक आश्चर्य की पहाड़ी कहा जाता है। इस स्थान को ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश के बाल अवतार का स्थान माना जाता है। वनवास के समय भगवान श्री राम सीता तथा लक्ष्मण यहीं पर महर्षि अत्रि तथा सती अनुसूया के अतिथि बनकर रहे थे। भक्त, शिरोमणि तुलसीदास जी भी आत्मिक शांति की खोज में यहां आए थे और जहांगीर के क्रोध से पीड़ित अकबर के नवरत्नों में से महाकवि अब्दुर्रहीम खान ने भी यही शरण ली थी। इसी स्थान पर चंद्रमा, मुनि, दत्तात्रेय और ऋषि दुर्वासा के रूप में भगवान ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश ने भी जन्म लिया था। चित्रकूट में बहुत से खूबसूरत रमणीय स्थल है। यहां के दर्शनीय स्थलों में कामदगिरी, रामघाट, जानकीकुंड, स्फटिक शिला, अनुसुइया अत्रि आश्रम, गुप्त गोदावरी, हनुमान धारा, भरतकूप, सीता रसोई, सीतापुर, केशव गढ़, प्रमोद वन, बांके सिद्ध, पंपासर, सरस्वती झरना, यमतीर्थ, सिद्धाश्रम और जटायु तपोभूमि आदि है।

 


खजुराहो (
Khajuraho)

 
खजुराहो मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित एक छोटा सा नगर है। आज यह पर्यटन नगर बन गया है। किसी समय यह जिझौती राज्य की राजधानी था, जिसे आज बुंदेलखंड कहते हैं। यहां के मंदिर 11वीं शताब्दी के हैं। ऐसा कहते हैं कि यहां पर मंदिरों की संख्या 85 थी, लेकिन वर्तमान में 22 ही विद्यमान है। या अलग ही प्रकार के अत्यंत खूबसूरत भव्य मंदिर है, जिनकी दीवारों पर स्त्रियों को विभिन्न मुद्राओं में पत्थर पर अंकित किया गया है। इनके परकोटे में कामकला का वर्णन है। ऐसा माना जाता है कि इनमें से 30 मंदिर 950 ई. में और शेष 1050 ई. में चंदेल शासकों द्वारा निर्मित कराए गए थे। इनकी मरम्मत का कार्य छतरपुर के शासक व भारत सरकार ने 1906-10 तथा 1920-23 में कराया था। इनमें से एक मंदिर में 800 मूर्तियां व 8 हाथियों की प्रतिमाएं बनी हुई है। यह मुर्तियां काम विषयक (इरोटिक) होने के साथ पवित्र भाव भी रखती हैं। इन सब मूर्तियों में स्त्रियों को विभिन्न मुद्राओं, प्रेम, उत्तेजक, छेड़खाणी व हंसी मजाक में अंकित किया गया है। या मंदिर मूर्ति कला का सुंदर उदाहरण है व अपनी वास्तु कला एवं शिल्प कला के लिए विश्व में पहचान रखते हैं। पश्चिमी समूह में सबसे अधिक लोकप्रिय मंदिर कंदरिया महादेव मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, चौसठ योगिनी मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, चित्रगुप्त व जगदंबा मंदिर है। दक्षिणी समूह के मंदिरों में इल्हादेव मंदिर, चतुर्भुज मंदिर, वामन मंदिर, जवारी मंदिर, वाराह मंदिर आदि भी दर्शनीय है। इनके अतिरिक्त पूर्वी समूह के मंदिरों में पारसनाथ, शांतिनाथ और आदिनाथ मंदिर, घंटाई मंदिर, खजुराहो संग्रहालय आदि है।

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