भारत के मुख्‍य सांस्‍कृतिक संस्‍थाएं और संगठन (भाग-1)

 


(1) एशियाटिक सोसायटी (कोलकाता)

 

सर विलियम जोन्‍स, एक महान विद्वान और कलकत्‍ता उच्‍च न्‍यायालय में न्‍यायाधीश थे। उनके द्वारा एशियाटिक सोसायटी की स्‍थापना 15 जनवरी 1784 को की गई थी। यह भारत के सभी सर्वेक्षणों का एक ‘फाउंटेनहेड’ है, जैसे कि भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण, भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण, भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण, भारतीय संग्रहालय एशियाटिक सोसायटी की उपज है। इसके अलावा भारतीय राष्‍ट्रीय विज्ञान अकादमी, ट्रॉपिकल मेडिसीन, भारतीय बागवानी सोसायटी, ऑटोमोबाइल सोसायटी ऑफ इंडिया इत्‍यादि की मूल उत्‍पत्ति एशियाटिक सोसायटी से ही हुई है। इसे संसद के एक अधिनियम के जरिए वर्ष 1984 में राष्‍ट्रीय महत्‍व का संस्‍थान घोषित किया गया। एशियाटिक सोसायटी, कोलकाता के निम्‍नलिखित मुख्‍य उद्देश्‍य है-

 

  • एशिया में मानविकियों और विज्ञान में अनुसंधान को शुरू और प्रोत्‍साहित करना।
  • अनुसंधान संस्‍थान, पठन कक्ष, संग्रहालय, ऑडिटोरियम और व्‍याख्‍यान कक्ष स्‍थापित और संचालित करना।


(2) भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण (नई दिल्‍ली)

 

भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण की स्‍थापना 1861 में की गयी थी। यह संस्‍कृति विभाग के सम्‍बद्ध कार्यालय के रूप में कार्य करता है। भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण राष्‍ट्रीय महत्‍व के संरक्षित स्‍मारकों की सुरक्षा परिरक्षण ओर संरक्षण का कार्य करता है। राष्‍ट्रीय महत्‍व के प्राचीन स्‍मारकों तथा पुरातत्‍वीय स्‍थलों तथा अवशेषों के रखरखाव के लिए सम्‍पूर्ण भारत को 24 मंडलों में विभाजित किया गया है। संगठन के पास मंडलों, संग्रहालयों, उत्‍खनन शाखाओं, प्रागैतिहासिक शाखा, पुरालेख शाखाओं, विज्ञान शाखा, उद्यान शाखा, भवन सर्वेक्षण परियोजना, मंदिर सर्वेक्षण परियोजनाओं तथा अन्‍तरजलीय पुरातत्‍व स्‍कन्‍ध के माध्‍यम से पुरातत्‍वीय अनुसन्धान परियोजनाओं के संचालन के लिए बड़ी संख्‍या में प्रशिक्षित पुरातत्‍वविदों, संरक्षकों, पुरालेखविदों, वास्तुकारों तथा वैज्ञानिकों का कार्यदल है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के विभिन्न मंडलों के माध्यम से यह स्मारक और साइटें संरक्षित और रक्षित की जाती हैं, जो पूरे देश में फैली हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के उपकार्यालय इन स्मारकों और संरक्षण गतिविधियों पर शोध करते हैं। इसका मुख्यालय देहरादून में है और इसकी विज्ञान शाखा आगरा में स्थित है।


(3) राष्‍ट्रीय अभिलेखागार (नई दिल्‍ली)

 

राष्‍ट्रीय अभिलेखागार में स्‍थायी मूल्‍य वाले केन्‍द्रीय सरकार के अभिलेख और प्रख्‍यात महानुभावों के निजी कागजात उपयोगकर्ताओं के स्‍थायी परिरक्षण के प्रयोगार्थ मौजूद है। राष्‍ट्रीय अभिलेखागार The Public Record Act-1993 और The Public Record Rules-1987 को कार्यान्वित करने के लिये नोडल एजेंसी है तथा यह भारत सरकार के विभिन्‍न मंत्रालयों/विभागों की उनके रिकॉर्ड प्रबंधन कार्यक्रमों में सहायता करता है। यह बहुमूल्‍य रिकॉर्डो और कागजातों के परिरक्षण के लिए तकनीकी जानकारी प्रदान करने के लिये विभिन्‍न स्‍वैच्छिक संस्‍थानों और व्‍यक्तियों को मार्गदर्शन भी प्रदान करता है। विभाग का अभिलेखीय अध्‍ययन स्‍कूल अपने अभिलेखों और रिकार्ड प्रबंधन में एकवर्षीय डिप्‍लोमा के अंतर्गत प्रशिक्षण तथा भारतीय व‍ विदेशी प्रशिक्षार्थियों के लिये विभिन्‍न अल्‍पकालिक प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम प्रदान करता है।


(4) भारतीय संग्रहालय (कोलकाता)

 

भारतीय संग्रहालय कोलकाता विश्‍व के एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे प्राचीन सग्रहालय है। इसकी स्‍थापना एशियाटिक सोसायटी में डा० नथनियल वालिच के मार्गदर्शन में 2 फरवरी 1814 को की गयी थी तथा पहले इसे एशियाटिक संग्रहालय के रूप में फिर इम्‍पीरियल संग्रहालय के नाम से जाना जाता था। वर्ष 1866 में इसका शासन भारतीय संग्रहालय अधिनियम-1866 के अंतर्गत भारतीय संग्रहालय के ट्रस्टियों को हस्‍तांतरित कर दिया गया। संग्रहालय को अप्रैल 1878 में चोरंधी रोड स्थित इसके वर्तमान भवन में जनता के लिये खोल दिया गया जो कोलकाता मैदान के पास है। भारतीय संग्रहालय का वर्तमान प्रशासन, भारतीय संग्रहालय अधिनियम 1910 के अनुसार संचालित होता है। भारतीय संग्रहालय के ट्रस्‍टी बोर्ड के अध्‍यक्ष पश्चिम बंगाल के महामहिम राज्‍यपाल है।


(5) विक्‍टोरिया मेमोरियल हॉल (कोलकाता)

 

विक्‍टोरिया मेमोरियल हॉल की स्‍थापना प्रमुख रूप से लॉर्ड कर्जन के प्रयासों से महारानी विक्‍टोरिया की स्‍मृति में एक युग सग्रहालय के रूप में की गयी थी। इसका शिलान्‍यास 1906 में किया गया तथा 57 एकड़ में फैले परिसर को औपचारिक रूप से जनता के लिये 1921 में खोला गया। विक्‍टोरिया मेमोरियल हॉल को भारत सरकार के 1935 के एक अधिनियम के जरिये राष्‍ट्रीय महत्‍व का संस्‍थान घोषित किया गया। स्‍थानीय स्‍तर पर इसका उद्देश्‍य कोलकाता नगर में एक प्रमुख संग्रहालय, कलावीथी, अनुसंधान पुस्‍तकालय और सांस्‍कृतिक स्‍थल के रूप में कार्य करना है। इसे भारत में भारत-ब्रिटिश वास्‍तुकला के एक सर्वोत्‍तम नमूने के रूप में जाना जाता है और इसे ‘ताज ऑफ दी राज’ कहा जाता है। विक्‍टोरिया मेमोरियल हॉल संग्रह में  28,394  कला वस्‍तुएं है जिसमें से अनेक नौ वीथीयों में प्रदर्शित है जिनसे तेल और जल रंगो से ऐतिहासिक चित्रों, स्‍केंचो और ड्राइंगो, एक्‍वेटिन्‍टस, लिथोग्राफ, दुर्लभ पुस्‍तकों और पाण्‍डुलिपियों, डाक टिकटो और डाक लेखन सामग्री, सिक्‍कों और मेडलों, शस्‍त्र और अस्‍त्रों, मूर्तिकला, पोशाक, व्‍यक्तिगत स्‍मृतियों आदि का पता चलता है।


(6) राष्‍ट्रीय संग्रहालय (दिल्‍ली)

 

राष्‍ट्रीय संग्रहालय 15 अगस्‍त 1949 को स्‍थापित किया गया था। 18 दिसंबर 1960 को जनपथ, नई दिल्‍ली में राष्‍ट्रीय संग्रहालय का उद्धाटन किया गया था। तब से 18 दिसंबर को इसका स्‍थापना दिवस मनाया जाता है। यह संस्‍थान संस्‍कृति मंत्रालय, भारत सरकार के प्रत्‍यक्ष नियंत्रणाधीन कार्यरत है। इस संग्रहालय में 2 लाख से अधिक उत्‍कृष्‍ट कलाकृतियां संकलित व प्रदर्शित है। जिनसे हमारी 5 हजार वर्षों से भी अधिक का इतिहास समाया हुआ है। राष्‍ट्रीय संग्रहालय विभिन्‍न कार्यक्रमों, पहलों तथा प्रदर्शनियों के माध्‍यम से अपने दर्शकों से रूबरू होने को प्रयासरत है। इसके अतिरिक्‍त राष्‍ट्रीय संग्रहालय में अंतर्राष्‍ट्रीय प्रदर्शनियां भी लगायी जाती है, जिससे दर्शकों को हमारी समृद्ध और विविध सांस्‍कृतिक विरासत की एक झलक देखने को मिलती है।


(7) सालारजंग सग्रहालय (हैदराबाद)

 

यह संग्रहालय विभिन्‍न यूरोपियाई, एशियाई और सुदूर पूर्व देशों की कलात्‍मक उपलब्धियों का एक संग्रह स्‍थल है। इस संग्रह का एक बहुत बड़ा भाग नवाब मीर यूसुफ अली खान द्वारा अधिप्राप्‍त किया गया था। जिसे सामान्‍यत: सालारजंग तृतीय के नाम से जाना जाता है, जो निजाम-VII का प्रधानमंत्री था। चालीस वर्ष से अधिक अ‍वधि के सम्‍बन्‍ध में उसके द्वारा ए‍कत्रित बहुमूल्‍य और दुर्लभ कलात्‍मक वस्‍तुएं, सालारजंग संग्रहालय के पोर्टलों में रखी गयी है। संग्रहालय के तीन ब्‍लॉकों में 38 वीथीयां है। संग्रहालय में न केवल भारतीय मूल की अपितु पश्चिमी, मध्‍य पूर्व और सुदूर पूर्वी मूल की, महत्‍वपूर्ण विश्‍व कलात्‍मक वस्‍तुओं और पुरावशेषों का भी संग्रह है। सालारजंग संग्रहालय पुस्‍तकालय में अंग्रेजी, उर्दू, तेलुगू, फारसी, अरबी और तुर्कि में पुस्‍तकों और पाण्‍डुलिपियों का विशाल संग्रह तथा कैलिग्राफिक पैनल है।


(8) ललित कला अकादमी (नई दिल्‍ली)

 

ललित कला अकादमी (राष्‍ट्रीय कला अकादमी) की स्थापना भारत सरकार द्वारा 5 अगस्त 1954 को की गई और समिति पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत 11 मार्च 1957 को इसका पंजीकरण किया गया। संविधान में स्थापित उद्देश्यों के अनुसरण में संस्था सामान्य परिषद कार्यकारिणी समिति समिति और अन्य समितियों के माध्यम से कार्य करती है भारत में दृश्य कलाओं के क्षेत्र में ललित कला अकादमी शीर्ष सांस्कृतिक संस्था है। यह एक स्वायत्तशासी संस्था है, जो पूर्णतया संस्कृति मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित है। राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों गतिविधियों और छात्रवृत्ति तथा अनुदान योजनाओं के माध्यम कलाकारों और कला संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के संबंध में अकादमी को पर्याप्त स्वतंत्रता प्राप्त है। ललित कला अकादमी एक ऐसी संस्था है जिसने राष्ट्र में कलाओं के प्रति अपनी सेवाएं तब से प्रदान करनी शुरू कर दी थी जब विश्व में भारतीय कला के सार्वभौमिक प्रभाव को महसूस करना आरंभ ही किया था। अकादमी ने श्रेष्ठ गुणवत्ता  संपन्न स्थायी संग्रह को संस्थापित, प्रलेखित एवं संरक्षित किया है। अकादमी का स्थायी संग्रह भारतीय समकालीन कला की रहस्‍योदघाटक  प्रवृत्तियों, जटिलताओं और सजीवता को प्रतिबिंबित करती है। अकादमी पूरे वर्ष शैक्षणिक कार्यक्रम और प्रदर्शनियां आयोजित करती है और प्रकाशनों को प्रोत्साहित करती है। अकादमी के तहत एक पुस्तकालय, कला अभिलेखागार, कला संरक्षण प्रयोगशाला है। अकादमी सशक्त राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय कला और कलाकारों को प्रोत्‍साहित करने के लिए वृहद गतिविधियों में लिप्त है।

………… आगे भी जारी

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