संज्ञा व उसके प्रकार

 
नाम को संज्ञा कहते है, संज्ञा वह विकारी शब्‍द है जिससे किसी व्‍यक्ति, वस्‍तु, स्‍थान या गुण का बोध हो। ये विकारी शब्‍द होते है तथा लिंग, काल, वचन, पुरुष आदि के प्रभाव से इनके रूप में परिवर्तन होता रहता है। हिन्‍दी में संज्ञा मुख्‍यत: तीन प्रकार की होती है-

 

  • व्‍यक्तिवाचक संज्ञा
  • जातिवाचक संज्ञा
  • भाववाचक संज्ञा
इसके अलावा अन्‍य भाषाओं में द्रव्‍य वाचक और समूहवाचक संज्ञा भी होती है जिन्‍हें हिन्‍दी में जातिवाचक संज्ञा में ही माना जाता है-

 

(1) व्‍यक्तिवाचक संज्ञा

 

जिन संज्ञा से किसी एक ही व्‍यक्ति, वस्‍तु या स्‍थान का बोध होता हो उसे व्‍यक्तिवाचक संज्ञा कहते है। व्‍यक्तिवाचक संज्ञाएं
बहुधा अर्थहीन होती है, इनके प्रयोग से जिस व्‍यथ्‍कत का बोध होता है उसका प्राय: कोई गुण इनसे सूचित नहीं होता, जैसे – नरेश शब्‍द का अर्थ मनुष्‍यों का स्‍वामी अर्थात राजा होता है, लेकिन जिस व्‍यक्ति का इस नाम से बोध हो वह राजा हो, यह आवश्‍यक नहीं है। ऐसे ही नर्मदा शब्‍द का अर्थ मोक्ष देने वाली है। किसी महिला का नाम नर्मदा होने से उसका मोक्ष देने वाले अर्थ से संबंध जरूरी नहीं है। व्‍यक्तिवाचक संज्ञा किसी व्‍यक्ति की पहचान या सूचना के लिये केवल एक संकेत मात्र होता है, परन्‍तु कुछ व्‍यक्तिवाचक संज्ञाएं अर्थवान भी होती है जैसे- ईश्‍वर, परमात्‍मा, ब्रह्माण्‍ड आदि। व्‍यक्तिवाचक संज्ञा के कुछ उदाहरण निम्‍नलिखित है-

 

(1) स्‍त्री-पुरुषों के नाम- राम, मोहन, लक्ष्‍मी, जयप्रकाश, मीरा सुशीला, सुदामा
(2) देशों के नाम- भारत, पाकिस्‍तान, अफगानिस्‍तान, अमेरिका, जापान, इटली, चीन, नेपाल आदि।
(3) नदियों के नाम- गंगा, यमुना, कावेरी, गोदावरी, सिंधु, नर्मदा, ताप्‍ती, महानदी आदि।
(4) दिशाओं के नाम- पूर्व, पश्चिम, उत्‍तर व दक्षिण
(5) महासागरों के नाम- प्रशांत महासागर, हिन्‍द महासागर, आर्कटिक  महासागर इत्‍यादि।
(6) शहर व नगरों के नाम- आगरा, अलीगढ़, जयपुर, अजमेर, औरंगाबाद इत्‍यादि।
(7) पर्वतों के नाम- हिमालय, अरावली, विंध्‍याचल, सतपुड़ा आदि।
(8) दिनों के नाम- सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्‍पतिवार, शुक्रवार, शनिवार व रविवार
(9) पुस्‍तकों के नाम- गीता, बाइविल, रामायण, पंचतंत्र इत्‍यादि।
(10) महिनों के नाम- जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल आदि।

 

(2) जातिवाचक संज्ञा

 

जिन संज्ञा शब्‍दों से एक ही प्रकार की विभिन्‍न वस्‍तुओं, स्‍थान या व्‍यक्तियों का बोध हो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है। जैसे – लोटा, घोड़ा, नगर, आदमी, बच्‍चा, अध्‍यापक, विद्वान आदि। हिन्‍दी में समूहवाचक व द्रव्‍यवाचक शब्‍दों को भी जातिवाचक संज्ञा में शामिल किया जाता है। जातिवाचक संज्ञाएं अर्थवान होती है और इनसे धर्म का बोध होता है जैसे- सभा, सेना, दल, भीड़, कक्षा, चीनी, तेल, नमक आदि। जातिवाचक संज्ञा के कुछ उदाहरण निम्‍न‍वत है-

 

(1) संबंधियों के नाम- भाई, बहन, मामा, चाचा, नाना, दादा
(2) व्‍यवसायों के नाम- सुनार, कुम्‍हार, जुलाहा, शिक्षक, लेखक, पण्डित इत्‍यादि।
(3) पशु-पक्षियों के नाम- गाय, बकरी, ऊंट, घोड़ा, कुत्‍ता, शेर
(4) वस्‍तुओं के नाम- मकान, घड़ी, टेबल, पुस्‍तक, नदी, शहर
(5) प्राकृतिक तत्‍वों के नाम- तूफान, बिजली, बाढ़, वर्षा, भूकंप

 

(3) भाववाचक संज्ञा

 

जिन संज्ञा शब्‍दो से व्‍यक्ति, वस्‍तु या स्‍थान के गुण, धर्म, दशा, व्‍यापार आदि का बोध हो, उन्‍हें भाववाचक संज्ञा कहते है। भाववाचक संज्ञा भी जातिवाचक संज्ञाओं की ही भांति अर्थवान होता है, लेकिन इससे जातिवाचक संज्ञाओं की तरह एक समूह का बोध न होकर किसी एक भाव का ही बोध होता है। जैसे- बुढ़ापा, नम्रता, मिठास, सौन्‍दर्य, सुन्‍दरता, चाल, समझ, लम्‍बाई, चतुराई, जलन, कमाई आदि। भाववाचक संज्ञा के कुछ उदाहरण इस प्रकार है-

 

(1) धर्म या गुणबोधक- शीतलता, गर्माहट, मिठास, कड़वाहट, बल, बुद्धि, क्रोध, प्रेम, तृष्‍णा इत्‍यादि।
(2) अवस्‍था- गरीबी, अमीरी, सफाई, दरिद्रता, उजाला, अंधेरा, नींद
(3) व्‍यापार- दान, भजन, पढ़ना, पढ़ाना, बहाव, चढ़ाई

 

भाववाचक संज्ञा निम्‍नलिखित पांच प्रकार से बनती है-

 

(1) सर्वनाम से- अपना से अपनापन, मम से ममत्‍व, मम से ममता, निज से निजत्‍व
(2) जातिवाचक संज्ञा से- बुढ़ा से बुढ़ापा, लड़का से लड़कपन, मित्र से मित्रता, पण्डित से पण्डिताईन, जवान से जवानी
(3) क्रिया से- घबराना से घबराहट, सजाना से सजावट, भूलना से भूल, बहना से बहाव, कमाना से कमाई, दौड़ना से दौड़
(4) विशेषण से- गर्म से गर्मी, सर्द से सर्दी, कठोर से कठोरता, स्‍वस्‍थ से स्‍वास्‍थ्‍य, महान से महानता, चतुर से चतुराई
(5) अव्‍यय से- मना से मनाही, निकट से निकटता, ऊपर से ऊपरी, धिक से धिक्‍कार

 

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