Statue of Unity : Worlds Tallest Statue

दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा जो स्‍टैच्‍यू ऑफ लिबर्टी की ऊंचाई से करीब दोगुनी, क्राइस्‍ट द रिडिमर की ऊंचाई से करीब 5 गुना ऊंची यहां तक की चीन के स्प्रिंग टेंपल बुद्धा से भी 29 मीटर ज्‍यादा ऊंची तथा पश्चिम भारत के एक सुदूर इलाके में स्‍थापित है जिसका का नाम है “स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी”

 

 
सरदार पटेल की यह प्रतिमा गुजरात राज्‍य में नर्मदा नदी के छोटे से टापू पर बनायी गयी है, जिसे साधूबेट कहा जाता है। द स्‍टैच्‍यू आफ यूनिटी भारत के एक महान नेता सरदार वल्‍लभ भाई पटेल के लिये श्रद्धांजलि है। भारत की स्‍वतंत्रता संग्राम में एक अहम भूमिका निभाने वाले सरदार पटेल देश के पहले गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री भी थे कई लोगों के अनुसार उन्‍हीं के दृढ़संकल्‍प ने भारत वर्ष का गठन किया।

 

 गांधी जी एक महात्‍मा, नेहरू एक राजनेता और पटेल एक महान नेता या सरदार ये वो त्रिमूर्ति थी जिन्‍होने भारत देश को स्‍वंत्रंता की ओर बढ़ाया और स्‍वतंत्रता दिलवाई भी। भारत की स्‍वतंत्रता से एक साल पहले यानि साल 1946 तक सैकड़ों देशी रियासतों को एक देश में जोंड़ने का प्रयास शुरू हो चुका था अंतरिम गृहमंत्री होने के नाते सरदार पटेल ने देश भर का दौरा किया कश्‍मीर से जोधपुर, हैदराबाद से जूनागढ़ ताकि राजाओ और नवाबो को भारतीय संघ का हिस्‍सा बनने के लिये मना सकें। सरदार पटेल को लौह पुरूष भी कहा जाता है उन्‍होने वर्षो तक देशी रियासतो को समझाने की कोशिश की कुछ को राज भत्‍ता और सरकारी ओहदा देने का यकिन दिलवाकर तो कुछ को शख्‍त चेतावनी देकर। एक स्‍वतंत्र देश की रचना में उनकी अहम भूमिका के कारण ही उन्‍हे आधुनिक भारत का निर्माता भी समझा जाता है।

 

स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी निर्माण की कल्‍पना-

 

स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी के इस उपयुक्‍त नाम की कल्‍पना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब की थी जब वो गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे। इस तरह के विराट स्‍तर के प्राजेक्‍ट की योजना बनाने में वर्षों का समय लगा। इस मुर्ति को बनाने में कला, वास्‍तुशिल्‍प और इंजीनियरिंग का समावेश हुवा है। स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी को बनाने की कल्‍पना को सच्‍चाई का रूप देने के लिये साल 2011 में सरदार वल्‍लभ भाई पटेल राष्‍ट्रीय एकता ट्रस्‍ट की स्‍थापना की गयी। जिसकी सहायता से मुर्ति निर्माण के लिये काबिल आदमियों को खोजा गया।
आज गुजरात में 182 निर्वाचन क्षेत्र हैं प्रतिमा की ऊंचाई 182 मीटर इसी संख्‍या को दर्शाती है। स्‍टैच्‍यू बनाने की  योजना 2015 तक तैयार हो चुकी थी। 182 मीटर की ऊंचाइै एक 61 मंजिला इमारत जितनी ऊंची होती है भारत की स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे उुंची प्रतिमा बनने वाली थी। प्रतिमा के कांसे के आगे के निचले भाग में एक इमारत भी बनाई गयी है, जहां तक पहुंचने के लिये प्रतिमा के आधार पर पैरों के नीचे प्रवेश द्वार, म्‍युजियम और लिफ्ट बनाये गये है। दर्शको के लिये स्‍टैच्‍यू के अंदर 135 मीटर की ऊचाई पर एक गैलरी का निर्माण किया गया है, जहां से सरदार सरोवर बांध और आस पास की पहाडि़यों का अद्भुत नजारा देखा जा सकता है।


स्‍टैच्‍यू निर्माण की योजना-

 
इस महत्‍वाकांक्षी योजना को पूरा करने के लिये 42 महिनो का समय पहले से निर्धारित था। भारत की सबसे जानी मानी कंस्‍ट्रक्‍शन कंपनी लार्सेन एंड टुब्रो को एक ग्‍लोबल टेंडर के जरिये इस प्रतिमा को बनाने का काम मिला था। लेकिन अब उनके सामने बेमिसाल चुनौतियां थी और वक्‍त हाथ से निकला जा रहा था चुनौतियां सिर्फ इंजीनियरिंग तक ही सीमित नहीं थी। ये कला की एक ऐतिहासिक रचना बनने वाली थी, जिसकी वजह से पूरे विश्‍व में भारत का नाम होगा। राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार विजेता मुर्तिकार राम वी सुतार को प्रतिमा तराशने का जिम्‍मा सौंपा गया। योजना की समय सीमा 31अक्‍टूबर सरदार पटेल की 143वीं जन्‍मगांठ, जमीन तैयार करने और नींव को रखने में करीब 12 महिनों का समय लगा इसके बाद स्‍टैच्‍यू के बीच वाले अहम हिस्‍से को बनाने में 11 से 15 महिनों का समय लगा। आखिरी के 9 से 12 महिनो का समय स्‍टैच्‍यू में कांसे के अगले हिस्‍से को जोडने और सुधारने में लगाया गया था।

 

डेढ़ हजार मजदूरों ने 4488 क्‍यूबिक मीटर नींव रखने के लिये करीब एक सप्‍ताह तक कड़ी मेहनत की ये आकार एक ओलंपित स्विमिंग पूल से बड़ी और गहरी होती है। भारत के लौह पुरूष सरदार पटेल के सम्‍मान में दुनिया की सबसे उुंची प्रतिमा को बनाने में 18500 मीट्रिक टन मजबूत स्‍टील का इस्‍तेमाल किया गया। राष्‍ट्रीय एकता का ध्‍यान में रखते हुवे एक मिशन की शुरूआत की गयी जिसके द्वारा देशभर के किसानो से लोहा जमा किया गया, ये राष्‍ट्रीय एकता का प्रतीक था और योगदान भी। भारत की 1 लाख 69 हजार 78 गांव के किसानों से करीब 135 मीट्रिक टन औजार जमा किये गये कंक्रीट को ज्‍यादा मजबूत बनाने के लिये उन औजारों को पिघलाकर स्‍टील की छड़े बनाई गयी।

 

स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी के वास्‍तुकार-

 

92 वर्षीय पुरस्‍कार विजेता कलाकार राम वी सुतार राष्‍ट्रीय नेताओ की प्रतिमा बनाने के लिये मशहूर है। सुतार ने सरदार पटेल की तस्‍वीरों को समझने में कई दिन लगा दिये ताकि उनका चेहरा और हाव भाव सही से उभर कर आये। पद्म भूषण विजेता सुतार को सरदार पटेल की मूर्ति के तीन मॉडल को बनाने में करीब एक साल का समय लग गया हर मॉडल दूसरे से बड़ा और ज्‍यादा विस्‍तृत थी। सबसे छोटा 3 फुट ऊंचा और सबसे बड़ा 30 फुट ऊंचा इस कलाकार ने अपने 70 साल के कार्यकार मे सैकडो मुतिर्यां बनाई है लेकिन स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी एक अनोखी चुनौ‍ती थी। लंबाई-चौडाई के अलावा ये योजना बड़ी ही मुश्किल इसलिये थी क्‍योंकि इस प्रतिमा को एक इमारत की तरह बनाया जाना था।

 

प्रतिमा स्‍थल पर इंजीनियरिंग टिम सुतार के डिजाइन को देखकर चौंक गये थे क्‍योंकि स्‍टैच्‍यू निर्माण के लिये जिस मुद्रा को चुना गया था उसमें सरदार पटेल का एक कदम आगे की ओर था उनके पैरों के बीच करीब 12 फुट का फासला था। जिसकी वजह से ढा़चा बनाना एक बड़ी मुश्किल सामने आयी। आमतौर पर ऊंची प्रतिमाओं पर स्‍कर्ट या पोशाक होती है, जो स्‍टैच्‍यू के चौड़े आधार को कलात्‍मक ढ़ंग से छुपा देती है और ढ़ाचे को मजबूत पकड़ भी मिलती है। लेकिन राम वी सुतार के डिजाइन में ये मुमकिन नही था। कंस्‍ट्रक्‍शन कंपनी ने इसका हल खोज निकाला प्रतिमा में एक चौडे आधार के जगह दो अलग अलग कॉलम बनाये गये जो प्रतिमा के पैर बनें और ढ़ांचे को सहारा भी देते है।

 

इस बीच गांधीनगर में स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी की एक 30 फुट ऊंची प्रतिमा स्‍थापित की गयी ताकि राम सुतार के डिजाइन और रचना के बारे में लोगों की राय ली जा सके लोगो की एकमत राय के मुताबिक राम सुतार और कंस्‍ट्रक्‍शन टीम ने स्‍टैच्‍यू की आकृति और डिजाइन को अंतिम स्‍वरूप दिया।

 

मुर्ति निर्माण के अगले चरण में कांसे के अगले हिस्‍से को सांचे में ढ़ालना था। जिसे मजबूत कंक्रीट और स्‍टील का भरा जाना था। कांसे का यही अगला हिस्‍सा ढांचे को उसका मुर्तिनुमा आखिरी आकार देने वाला था। कांसे की ढलाई बहुत मुश्किल प्रक्रिया है और इस काम को ढ़लाई खाने में ही किया जा सकता है। इतने बड़े ढ़लाई खाने की तलाश में कंस्‍ट्रक्‍शन टीम चीन जा पहुंची।

 

चीन की जियांगसी तोंगकिंग हैंण्‍डीक्राफ्ट कंपनी कलात्‍मक ढलाई में दुनिया भर में मशहूर है। स्‍टैच्‍यू आफ यूनिटी के अगले भाग का सांचा यही पर बना था। राम सुतार की रचना की स्‍कैन कॉपी को बड़ा किया गया और एक-एक टुकड़े को जोड़कर पूरे आकार का सांचा बनाया गया जांच करने व हर बारीकी पर नजर रखने के लिये कलाकार राम सुतार वही मौजुद थे।

 

इस प्रतिमा के कांसे के बाहरी हिस्‍से को 6659 अलग-अलग सांचो से बनाना गया। बनाने के बाद उन्‍हे गुजरात में स्‍थापना वाले दिन लाकर एक बहुत बड़े पहेली के अलग-अलग हिस्‍सों के रूप में जोड़ा गया था। सबसे पहले सरदार पटेल की धोती के 12 टन वाले पैनल को ऊपर ले जाकर लगाया गया और फिर टुकड़े दर टुकडे जोड़कर प्रतिमा को तैयार किया गया। ठिक उसी तरह जिस तरह साल 1945 के बाद संयुक्‍त भारत तैयार किया गया था।

 

31 अक्‍टूबर 2018 सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की 143वीं जन्‍मगांठ गुजरात के छोटे से टापु साधुबेट पर इतिहास रचा जाने वाला था। ये वह दिन था जब दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत देश को समर्पित कि जाने वाली थी। कांसे के सांचे में ढ़ला हुवा 21वी सदी का महापुरुष राष्‍ट्रीय एकता का एक प्रतीक है। जो उस महान इंसान का सम्‍मान करता है जिसने भारत को एक करने में अहम भूमिका निभाई ये हर उस इंसार के लिये गौरव का दिन था जिसने इस सपने को साकार किया।

 

स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी के बारे में कुछ महत्‍वपुर्ण तथ्‍य (Important Facts About Statue of Unity)

 

  • स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी विश्‍व की सबसे ऊंची प्रतिमा है, जिसकी ऊंचाई 182 मीटर अथवा 597 फीट है।
  • इस प्रतिमा की स्‍थापना नर्मदा नदी के तट पर सरदार सरोवर बांध के समीप केवडिया नामक इलाके में की गयी है।
  • सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की इस मूर्ति को बनाने में तकरिबन 3 हजार करोड़ रूपये खर्च हुवे है।
  • इस मुर्ति के वास्‍तुकार पद्म भूषण पुरस्‍कार विजेता राम वी सुतार है।
  • स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी की आधारशिला 31 अक्‍टूबर, 2013 को सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की 138वीं वर्षगांठ पर गुजरात राज्‍य के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा रखी गयी थी।
**********

More Mock Tests Are Available Here

Scroll to Top
Scroll to Top